जैसलमेर (हवेलियों का शहर ) के प्रमुख पर्यटन स्थल | TadkaBright

Jaisalmer Havelion ka Sahar Ke Parmukh Paryatan Sthal

 
Hello दोस्तो आज फिर हम लोटे है किसी महत्वपूर्ण जानकारी के साथ । पर्यटन आज विश्व के सबसे बड़े उद्योगों में स्थान बना लिया है जिसमे से राजस्थान पर्यटन स्थलों की दृष्टि से एक संपन राज्य के रूप में बन गया है। जहां हर साल लाखों सैलानी आते है । राजस्थान में पर्यटन विभाग की स्थापना 1956 ईस्वी में की गई और 1989ईस्वी में इसे उद्योग का दर्जा दिया गया। और आज हम  बात करेंगे जो राजस्थान के प्रमुख पर्यटनो में से एक है ।

जैसलमेर (हवेलियों का शहर ) के प्रमुख पर्यटन स्थल 


जैसलमेर का किला

दोस्तों जैसलमेर पर्यटक दृश्यों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है जिसे सोनार के किले के नाम से भी जाना जाता है। यह किला एक वर्ल्ड हेरिटेज के मुकाम पर पहुंच चुका है। यह किला थार मरुस्थल के त्रिकुटा पहाड़ी पर स्थित है।

       जब भी सूरज की रोशनी इस किले पर पड़ती है तो यह सोने के समान चमकता हुआ दिखाई देता है। क्योंकि इस किले का निर्माण पीले बलुआ पत्थर से किया गया है इसलिए इसे गोल्डन फोर्ट भी कहते हैं। इस किले को देखने के लिए कहीं देसी व विदेशी यात्री जैसलमेर में इस किले की भव्यता को देखने आते हैं।


पटवों की हवेली

इस हवेली का निर्माण सन 18 सो 5 ईस्वी में गुमान चंद पटवा द्वारा अपने पांच बेटों के लिए बनवाई गई थी। इस हवेली के अंदर भी पांच हवेलियां है। यह है हवेली जैसलमेर की सबसे बड़ी एवं दृश्य मान हवेली है । यह हवेली 5 मंजिला एक शकरी गली के रूप में बनाई गई है। इस हवेली को बनाने में उस समय 50 साल का समय लग गया था। 

      इस हवेली को बहुत ही सुंदर ढंग से बनाया गया है ।और इसके अंदर बहुत सी कलाकृतियां बनाई गई है जो प्राचीन कला को उजागर करती है इसमें नक्काशी द्वार द्वार बनाए गए हैं । और इसमें बहुत ही घुमावदार खिड़कियां बनाई गई है जो देखने में बहुत ही सुंदर है।


जैसलमेर डेजर्ट नेशनल पार्क

दोस्तों यह तो आप सभी को पता है कि जैसलमेर को थार का मरुस्थल के नाम से भी जाना जाता है थार रेगिस्तान के विभिन्न वन्यजीवों का सबसे महत्वपूर्ण आवास है यहां पर कई प्रकार की पर जानवरों की प्रजातियां पाई जाती हैं –जैसे चिंकारा काले हिरण लोमड़ी आदि पाए जाते हैं। जैसलमेर में सबसे प्रमुख जानवर की जो प्रजाति है वह काला हिरण है ।

      जैसलमेर में किसी भी जानवर को हानि पहुंचाने पर उस पर कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। इस पार्क में ग्रेट इंडियन बस्टर्ड पक्षी भी पाई जाती है जो सबसे बड़ी उड़ान भरने वाली पक्षियों में से एक है उस पक्षी को भी यहां जैसलमेर में डेजर्ट नेशनल पार्क में देखा जा सकता है। 

         यह पार्क जैसलमेर से लगभग 40 किलोमीटर की दूरी पर है जिसे बड़ी ही प्राकृतिक ढंग से प्रायोजित किया गया है। यह डेजर्ट नेशनल पार्क  पशु पक्षियों की प्रजातियों के लिए सुरक्षित उद्यान बनाया गया है।

तनोट माता मंदिर जैसलमेर

यह मंदिर राजस्थान के जैसलमेर में स्थित है। यह है एक चमत्कारी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। तनोट माता के मंदिर से पाकिस्तान बॉर्डर मात्र 120 किलोमीटर ही दूर है यहां आस-पास के गांव के सभी लोग माता की पूजा अर्चना करते हैं। और विशेषकर बीएसएफ के जवान भी यहां पर पूरी श्रद्धा से माथा टेकने आते हैं। 

         यह देवी बीएसएफ की आराध्य देवी मानी जाती है और बीएसएफ के जवान ही इस मंदिर की देखरेख करते हैं और बताया जा रहा है कि 1965 के युद्ध में पाकिस्तानी सेना ने भारतीय सेना पर वार करते हुए लगभग 3000 बम गिराए थे लेकिन उस मिसाइलों से इस मंदिर को कोई भी नुकसान नहीं हुआ। 

       तनोट माता को देवी हिंगलाज का पुनर्जन्म माना जाता है जो कि वर्तमान में पाकिस्तान में स्थित है। आज भी उस मंदिर में उन कुछ बम को या मिसाइलों को मंदिर में पर्यटकों के दृश्यों के लिए रखा गया है।


रामदेवरा मंदिर जैसलमेर

रामदेवरा मंदिर जैसलमेर का प्रमुख धार्मिक एवं रुणिचा बाबा रामदेव या रामसा पीर का पुण्य स्थान है जिसे “रामदेवरा मंदिर” के नाम से जाना जाता है। बाबा रामदेव चौधरी शताब्दी के अंत में तोमर राजपूत परिवार में पैदा हुए थे रामदेव जी मानव जाति की सेवा के लिए अपना जीवन त्याग दिया अपने जीवन काल में उन्होंने बहुत ही चमत्कार किए थे ।और 33 वर्ष की आयु में बाबा रामदेव जी ने समाधि लेकर अपना शरीर त्याग दिया। 
     बाबा रामदेव को सभी धर्मों के लोग मान्यता देते हैं। रामदेव जी राजस्थान के प्रमुख लोक देवता है जो जैसलमेर के रुणिचा नामक गांव में पोकरण से लगभग 12 किलोमीटर की दूरी पर जैसलमेर जोधपुर मार्ग पर रामदेवरा मंदिर है ।

       इनको एक घोड़े पर सवार एक राजा के समान दिखाया गया है। इन्हें हिंदू और मुस्लिम दोनों धर्म के लोग एकता का प्रतीक माना जाता है रामदेव जी राजपूत वंश से संबंध रखते थे। पंच पीरों में एक नाम बाबा रामदेव जी का भी है जो “रामसापीर ”के नाम से जाना जाता है। इन्हें भगवान श्री विष्णु के अवतार अवतार माने जाते हैं।

बड़ा बाग

यह एक बहुत ही बड़ा उद्यान के रूप में है जो प्राचीन समय के भाटी वंश के राजाओं की स्मृतियों को लिए बैठा है। इस बाग में उद्यान में पहले के राजा महाराजाओं की शाही छतरियां बनी हुई है । बड़ा बाग जैसलमेर के उत्तर दिशा में लगभग 6 से 7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है । बड़ा बाग को बरबाग  के नाम से भी जाना जाता है।

     यह उद्यान पर्यटकों के लिए प्रात 8:00 बजे से संध्या 6:00 बजे तक खुला रहता है और यहां पर पर्यटकों को सूर्यास्त का अद्भुत दृश्य देखने को मिलता है जो कि बहुत ही ज्यादा मनमोहक होता है। जैसलमेर के महाराजा जयसिंह द्वितीय ने यहां पर एक बूंद बनवाया था। जिसके कारण जैसलमेर का अधिकतर हिस्सा हरियाली से छा गया था । और यहां पर कई छतरियां राजा महाराजाओं की कब्र पर बनी हुई है। लूणकरणसर महाराजा जयसिंह द्वितीय के पुत्र थे उन्होंने अपने पिता की मृत्यु के बाद सन 1746 ईस्वी में उनके पिता की छतरी बनवाई थी।

WRITTEN & POSTED BY - RAKESH KUMAR PRAJAPATI | TadkaBright.Com


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